Saturday, November 20, 2010

जल्द ही बन सकेगी बुढ़ापे को रोकने की गोली

वाशिंगटन। अब वह दिन दूर नहीं है जब आप खुद को लंबे समय तक जवां रख पाएंगे। क्योंकि एंटी ऐजिंग पिल्स निर्माण में जुटे शोधाथियों ने एक ऐसे इन्जाइम को ढूंढने में सफलता हासिल की है, जिसके जरिए मृत्यु की ओर अग्रसर कोशिकाओं को आसानी से बचाया जा सकेगा। निर्माण के अराखरी दौर में पहुंच चुकी इन एंटी ऐजिंग पिल्स की मदद से युवावस्था को स्थिर किया जा सकता है। हालांकि खाने में कैलारी की मात्रा में क मी करके भी उम्र की ढलान को धीमा किया जा सकता है।

विन्सकॉन-माडीसन यूनिवर्सिटी के शोधाकर्ताओं ने बताया कि उन्होंने सिर्ट-3 नामक उस प्रमुख एन्जाइम की पहचान कर ली है, जो कोशिका अणुओं में नाटकीय ढंग से परिवर्तन लाने में मुख्य भूमिका निभाता हैं।

शीर्ष शोधार्थी प्रोफेसर टामस प्रोला कहते हैं वे जल्द ही यह समझने में सफल हो जाऐंगे कि कैलोरी प्रतिबंधन कैसे काम करता है। शोधार्थियों ने बताया कि उन्होंने भोजन में कैलारी की मात्रा को कम करने से एजिंग की प्रक्रिया पर असर कैसे पड़ता है। शोधार्थियों ने बताया कि मिले सबूत से न केवल बूढ़े होने की प्रक्रिया की व्याख्या करने में मदद मिलेगी, बल्कि यह जवां उम्र को स्थिर रखने वाली प्रत्याशित दवा का आधार भी बन सकती है।

उन्होंने बताया कि इस इन्जाइम की मदद से किसी भी व्यक्ति की औसत आयु को बढ़ाया जा सकेगा। इस संबंध में शोधार्थी दल ने ऐसे चूहों पर शोध किया जो बड़ी उम्र से जुड़ी बीमारी बहरेपन आदि की समस्या से जूझ रहे थे। वैज्ञानिकों के मुताबिक बहरेपन का सीधा संबंध कान की अंदरूनी कोशिकाओं में हुए नुकसान से होता है। रिपोर्ट के अनुसार शरीर के कैलोरी लेबल में सुधार लाने व सिर्ट-3 नामक इन्जाइम के स्तर में वृद्धि से शरीर की उपापचय प्रक्रिया में परिवर्तन लाया जा सकता है।

शोधकर्ता बताते हैं कि कोशिकाओं के अंदरूनी भाग में अवस्थित फ्री रेडिकल नामक बनावट कोशिकाओं में ऊर्जा के स्रोत होते हैं, वहीं ये उच्च घातक फ्री रेडिकल आक्सीजन के वाहक भी होते हैं जिनके संपर्क में आते ही कोशिकाएं नष्ट हो जाती हैं और त्वचा पर झुर्रियां व जोड़ों में अकड़न की प्रक्रिया शुरू होने लगते हैं। शोधार्थियों का मानना है कि हरे पत्ते वाली सब्जियों व धान्य पदार्थो में पाए जाने वाले एंटी आक्सीडेंट के जरिए भी फ्री रेडिकल को न्यूट्रल कर अक्षम किया जा सकता है जिससे बूढ़े होने की प्रक्रिया धीमी हो सकती है।

वैज्ञानिकों ने सिर्ट-3 नामक उस प्रमुख एन्जाइम की पहचान कर ली है,जो कोशिका अणुओं में नाटकीय ढंग से परिवर्तन लाने में मुख्य भूमिका निभाता है।

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