अध्यापक पात्रता परीक्षा (टीईटी) को राज्य में पात्रता परीक्षा का दर्जा
जागरण ब्यूरो, लखनऊ शिक्षा के अधिकार कानून के तहत कक्षा एक से आठ तक में शिक्षकों की भर्ती के लिए अनिवार्य की गई अध्यापक पात्रता परीक्षा (टीईटी) को राज्य में पात्रता परीक्षा का दर्जा मिल गया है। टीईटी को पात्रता परीक्षा देने के लिए कैबिनेट ने मंगलवार को उप्र बेसिक शिक्षा (अध्यापक) सेवा नियमावली, 1981 की धारा-14 में संशोधन के प्रस्ताव पर मुहर लगा दी है। नियमावली में इस संशोधन के बाद शिक्षकों की भर्ती का आधार टीईटी की मेरिट की बजाय हाईस्कूल, इंटरमीडिएट और स्नातक के अंकों के आधार पर जिला स्तर पर तैयार की जाने वाली मेरिट होगी। कैबिनेट ने नियमावली की धारा-8 में संशोधन के प्रस्ताव को मंजूरी देकर शिक्षकों की नियुक्ति के लिए अनिवार्य पात्रता परीक्षा के रूप में टीईटी के साथ अब केंद्र सरकार द्वारा आयोजित केंद्रीय अध्यापक पात्रता परीक्षा (सीटीईटी) को भी मान्यता दे दी है। इस संशोधन के बाद सीटीईटी उत्तीर्ण अभ्यर्थी भी राज्य में शिक्षकों की भर्ती के लिए आवेदन कर सकेगा। नियमावली की धारा-5 में संशोधन के प्रस्ताव को स्वीकृति देकर कैबिनेट ने परिषदीय जूनियर हाईस्कूलों में विज्ञान और गणित शिक्षकों के 50 फीसदी पदों पर सीधी भर्ती का रास्ता साफ कर दिया है। शेष 50 फीसदी पद प्रोन्नति से भरे जाएंगे। इससे पहले शिक्षकों के सभी पद प्रोन्नति से ही भरने की व्यवस्था थी। नियमावली की धारा-21 में संशोधन के प्रस्ताव को अनुमोदित कर कैबिनेट ने परिषदीय स्कूलों में शिक्षकों के अंतर जनपदीय तबादलों की पुरानी व्यवस्था को भी बहाल कर दिया है। मायावती सरकार के कार्यकाल में शिक्षकों को उनकी मर्जी के मुताबिक एक से दूसरे जिले में तबादला करने की सुविधा देने के मकसद से नियमावली में संशोधन किया गया था। इन तबादलों में शिक्षिकाओं को वरीयता दी गई थी। इसके लिए शिक्षकों से बीती 31 दिसंबर तक ऑनलाइन आवेदन मांगे गए थे। ऑनलाइन आवेदनों के आधार पर बेसिक शिक्षा परिषद ने हाल ही में 24,392 शिक्षकों के तबादले किए थे। इस व्यवस्था को समाप्त कर अंतर जनपदीय तबादले की पूर्व में प्रचलित व्यवस्था फिर से लागू कर दी गई है। शिक्षकों की नियुक्ति की न्यूनतम आयु 18 से बढ़ाकर 21 वर्ष करने के लिए नियमावली की धारा-6 में भी संशोधन का प्रस्ताव मंजूर किया गया है।
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