21 Oct 2010 10:20,
देहरादून. देश के पहले लेजर बम की तकनीक देहरादून स्थित इंस्ट्रूमेंट रिसर्च एंड डेवलपमेंट इस्टैब्लिशमेंट (आईआरडीई) ने विकसित की है। आईआरडीई के वैज्ञानिक और जनसंपर्क अधिकारी अनिल कुमार ने बताया कि इस्टैब्लिशमेंट के विभिन्न प्रकार के अनुसंधानों के आधार पर लेजर बम के लिए तकनीक विकसित की गई। उन्होंने बताया कि इस तकनीक के तहत टार्गेट पर पहले लेजर डाला जाता है जो उसके पास जाकर चमक पैदा करता है और फिर परावर्तित होक र बम में लगे सिस्टम च्सीकरज् के पास वापस आता है। उसके बाद सीकर उस टार्गेट की सही दिशा निर्धारित करता है जिसके बाद बम का लक्ष्य पर इस्तेमाल किया जाता है। कुमार ने बताया कि बेंगलूर स्थित एयरोनाटिक्स डेवलपमंेट इस्टैब्लिशमेंट (एडीई की देखरेख में देश ने 1000 पाउंड का बम विकसित कर रखा है। इस प्रकार की तकनीक से लक्ष्य को सटीक भेदने में काफी मदद मिलती है। लेजर बम सबसे पहले 1960 में अमेरिका ने विकसित किया था। इसके बाद पूर्व सोवियत संघ, फ्रांस और ब्रिटेन में भी इस प्रकार के बम विकसित किए गए।
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