देश के अत्याधुनिक संचार उपग्रह जीसैट-8 को शनिवार सुबह फ्रेंच गुयाना के कोरू से एरियन-वी रॉकेट के जरिए प्रक्षेपित किया गया। प्रक्षेपण के 31 मिनट बाद यह उपग्रह गोलाकार भूस्थैतिक स्थानांतरण कक्षा में घूमने लगा।भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के निदेशक एस. सतीश ने कहा, "260 करोड़ रुपये की लागत का उन्नत संचार उपग्रह भारतीय समयानुसार दो बजकर आठ मिनट पर प्रक्षेपित किए जाने के 31 मिनट बाद स्थानांतरण कक्षा में पहुंचा दिया गया और कर्नाटक में हासन के निकट इसरो के नियंत्रण केंद्र को इससे संकेत मिलने शुरू हो गए।हासन बेंगलुरू से करीब 180 किलोमीटर दूर है।
एरियन-वी रॉकेट 19 देशों की सदस्यता वाली यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी द्वारा निर्मित है।उपग्रह के प्रक्षेपण की लागत 300 करोड़ रुपये और उपग्रह की बीमा लागत 30 करोड़ रुपये रही।कुल 3,093 किलोग्राम वजन वाला यह उपग्रह जमीन से 1,800 किलोमीटर की ऊंचाई पर रॉकेट से अलग होकर लक्षित कक्षा की ओर बढ़ गया।
सतीश ने कहा, "नियंत्रण केंद्र को मिले शुरुआती संकेतों के मुताबिक उपग्रह सामान्य तरीके से काम कर रहा है। उपग्रह की 440 न्यूटन लिक्विड एपॉगी मोटर का संचालन रविवार सुबह तक शुरू करने की तैयारी चल रही है जिससे उपग्रह को उसकी भूस्थैतिक कक्षा में पहुंचाया जा सके।"अगले कुछ दिनों में यह उपग्रह 36,000 किलोमीटर की ऊंचाई पर स्थित भूस्थैतिक कक्षा में पहुंच जाएगा और इसके एंटीना और सोलर पैनल का संचालन शुरू हो जाएगा।
अंतरिक्ष में 1,426 किलोग्राम वजन वाले इस उपग्रह में उच्च क्षमता वाले 24 ट्रांसपोंडर लगे हैं जिनसे सरकारी और निजी क्षेत्र के प्रसारणकर्ताओं को एक जुलाई से डॉयरेक्ट टू होम (डीटीएच) सेवाएं प्रदान करने की बेहतर सुविधा मिलेगा।सतीश ने कहा, "इस उपग्रह को इनसैट-3ई उपग्रह के करीब 55 डिग्री पूर्वी देशांतर के ऊपर स्थापित किया जाना है। उपग्रह को 12 साल तक संचालन क्षमता का लक्ष्य रखकर निर्मित किया गया है।"उपग्रह के प्रक्षेपण के दौरान मौजूद रहे इसरो के अध्यक्ष के. राधाकृष्णन ने इसे देश के लिए महत्वपूर्ण उपलब्धि बताया है।उन्होंने कहा, "संचार उपग्रह के 24 ट्रांसपोंडरों का संचालन शुरू होने का उपयोगकर्ताओं को इंतजार है। इस उपग्रह के सफल प्रक्षेपण से संचार और अंतरिक्ष तंत्र के नए दौर की शुरुआत होगी।"
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